ग्लानि

Abhimanyu Kapoor
4 min readAug 22, 2020

--

Photo by @plqml // felipe pelaquim on Unsplash

ऋतिक एक यूट्यूबर था, वह यूट्यूब-वीडियो बनाकर अपनी जीविका चलाता था। ऋतिक परोपकार के वीडियो बनाता था, जिसमे वह गरीब लोगों को पैसे देकर उनकी प्रतिक्रिया रिकॉर्ड करता था | उसके वीडियोस को बहुत लोग देखते थे- हज़ारों नहीं, लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों लोग देखते थे | ऋतिक एक साधारण सा, पतला, दया से भरी आँखो वाला आदमी था, उसके चेहरे पर हमेशा एक बड़ी सी मुस्कान रहती थी । यहीं सब विशेषताएँ उसको यूट्यूब पर सफलता दिला रही थीं । उसकी सफलता आसमान छू रही थी और वह बहुत प्रसिद्ध हो गया था | वह यूट्यूब से बहुत पैसे कमाने लगा और समय के साथ वह इतना विख्यात व्यक्ति बन गया था कि पत्रकार उसका साक्षात्कार लेने के लिए उसके घर के बाहर लाइन लगाने लगे | लोगों ने उसे परोपकारी, लोकोपकारक, जनहितैषी आदि के किताब दिये थे | लोग उससे बहुत प्यार करते थे और उसे ‘भाईचारे का राजा’ के नाम से बुलाते थे |

ऋतिक हर चीज़ के लिए वीडियो बनाता था, अगर कोई गरीब उससे पैसे माँगता तो वह पहले अपना कैमरा निकालता, फिर उस कैमरे को कैमरा-मैन को पकड़ाता और अपने दान का वीडियो बनाकर उसे यूट्यूब पर डालता ताकि लोग उसके वीडियो देखते रहें |

एक बार एक संवाद-दात ने उससे पूछा, “आपकी सफलता के पीछे का क्या राज़ है ?” जिस पर ऋतिक ने जवाब दिया ,”मैं कुछ भी खास नहीं करता हूँ, बस मैं अपने अंदर की मानवता के भावों को काम करने देता हूँ , हर इंसान को अपना भाई मानता हूँ और सभी के साथ भाईचारे की भावना से पेश आता हूँ |” संवाद-दाता ने उसके विनम्रता के लिए उसकी प्रशंसा की और बोला, “आप हर काम कितने निःस्वार्थ मन से करते हैं, आप जैसे लोगों के वजह से ही हमारा भारत महान है |”

एक दिन ऋतिक घूम कर रात को एक सुनसान रास्ते से लौट रहा था | उसने देखा की एक गाड़ी पलटी हुई थी, यह देखकर उसने अचानक से अपनी गाड़ी रोकी | ऋतिक अपनी गाड़ी से उतर कर भागा, दूसरी गाड़ी के पास पहुँचने पर उसने पाया की उस गाड़ी मे एक आदमी था | फिर ऋतिक ने उस आदमी को निकाला और देखा कि वह आदमी खून से लथ-पथ था | ऋतिक ने उस आदमी की एक हलकी आवाज़ सुनी, “भाई साहब मुझे बचा लो, मुझे अपनी गाड़ी में अस्पताल ले चलो |” ऋतिक बोला, “हाँ ज़रूर, एक मिनट रुकिए, मैं आया |”

ऋतिक भाग कर अपनी गाड़ी की ओर गया और गाड़ी की डिक्की खोली | ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह किसी चीज़ को ढूंढ रहा था | ऋतिक ने अपने फ़ोन की टोर्च खोली और फिर दोबारा ढूंढने लगा | उसने डिक्की की हर चीज़ इधर-उधर करदी और खड़े होकर निराश हुआ | उसके बाद उसने डिक्की बंध करदी और गाड़ी का पीछे वाला दरवाज़ा खोला | ऋतिक पीछे वाली सीट पर बैठा और फिर गाड़ी के अंदर कुछ ढूंढना शुरू किया | यह सब चार-पाँच मिनट तक चला और वह बेचारा आदमी सड़क पर लेटा तड़प रहा था | फिर अचानक से ऋतिक गाड़ी से बाहर कूदा और चिल्लाया, “ मिल गया !”

ऋतिक के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी और उसके एक हाथ में उसका वीडियो लेने वाला कैमरा था और दूसरे हाथ में उस कैमरे पर लगाने वाला फ्लैश जो उसे अंधेरे में वीडियो लेने के लिए सहायता करेगा | ऋतिक ने कैमरा के ऊपर फ्लैश लगाया और कैमरे को शुरू किया | फिर ऋतिक ने कैमरे को हाथ में पकड़ा को वीडियो लेना चालू किया और बोला , “नमस्कार मेरे प्यारे दर्शकों, आज मैं एक बहुत बड़ा काम करने जा रहा हूँ | आज मैं सड़क दुर्घटना में घायल, इस आदमी की मदद करने वाला हूँ |” यह बात कहकर ऋतिक उस घायल आदमी के पास, अपने आपको रिकॉर्ड करते हुए भागा |

जैसे ही ऋतिक पहुँचा उसने देखा की वह आदमी मर चुका था ! ऋतिक के हाथ से कैमरा गिर गया और उसके चेहरे पर भय दिख रहा था | वह ज़मीन पर गिर गया और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा | तब तक वहाँ पर एम्बुलेंस पहुँच गयी थी लेकिन बहुत देर हो चुकी थी | एम्बुलेंस उस आदमी के मृत शरीर को ले गयी और ऋतिक वहाँ ज़मीन पर सदमे में लेटा रहा | ऋतिक उठा और घर की तरफ चला | पूरे रास्ते वह यही सोचता रहा कि वह उस आदमी की जान, ‘सी-पी-आर’ कर के बचा सकता था पर अपने स्वार्थ के कारण वह उसे बचा न पाया | घर पहुँचकर वह अपने पलंग पर जाकर फिर चिल्ला- चिल्ला कर रोता रहा | ऋतिक सोचता रहा , ‘मैंने वीडियो बनाने के चक्कर में एक बेचारे आदमी को तड़पने के लिए छोड़ दिया |’

वह इस बात के लिए अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाया और इसी ग्लानि के कारण उसने यूट्यूब विडियो बनाने बंध कर दिए | वह सोचता, ‘लानत हैं मेरे ऊपर कि मैं अपने आप को भाईचारे का राजा बुलाता हूँ, जबकि मैं भाईचारा अपने स्वार्थ के लिए दिखाता हूँ, ना की अपने मानवता के भावों की वजह से |’

ऋतिक ने सोचा, ‘क्या यही मेरा भाईचारा था ?’

--

--

Abhimanyu Kapoor

A student wanting to express the colours of life through poems, articles and stories.