बहादुरी का इनाम
भारतीय सेना में भर्ती हुए गए सैनिकों का पहला दिन था। यह वो जवान थे जिन्हें इतने दिनों कि मेहनत के बाद आखिर में उसका फल मिल ही गया था। उनमें से एक पतला, दुर्बल सा साफ मुंडा हुआ आदमी था | वह एक गरीब परिवार से था और उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी। उसका नाम था लालू | सामने ही चार-पाँच सैनिक हँसी मज़ाक कर रहे थे। लालू उनसे मिलने गया और बोला “क्या चल रहा हैं , किस बात पर इतनी हसीं आ रही हैं यारों ?” “चले जाओ यहाँ से तुम तो फ़ौज में भर्ती होने लायक भी नहीं हो, अपनी हद में रहो |पता नहीं किस किसको फ़ौज में जगह दे देते हैं |” एक बलवान, स्वस्थ, लंबे-चौड़े, बड़ी मूछों वाले आदमी ने कहा। वह अमीरों का बेटा था | उसका नाम सम्राट था | सम्राट की बात सुनकर लालू के चेहरे की मुस्कान अकस्मात् गायब हो गयी और वह सर झुकाकर वहाँ से चला गया |
वक्त गुजरता गया लेकिन लालू से कोई बात नहीं करना चाहता था, न ही उसको कोई आदर मिलता था | लालू फिर भी कभी हिम्मत न हारता और पूरी लगन से मेहनत करता | सब हमेशा सम्राट के साथ रहते और उसकी जय जय कार करते रहते थे। हर जना यही सोचता की सम्राट जितना कोई शक्तिशाली और निडर नहीं था | लालू को सब दुर्बल कहते थे और उसे कायर और डरपोक के नाम से बुलाते थे | जब भी लालू कुछ काम करने जाता सब उसे ताने देते और उसका मनोबल ख़तम करने की कोशिश करते रहते ।
एक दिन अचानक से पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत पर युद्ध की घोषणा कर दी थी | उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच में हालत सही नहीं थे और युद्ध तो होना ही था | सीमा पर हालत बहुत नाज़ुक थी |
भारतीय सेना सीमा पर दो दिन तक इंतज़ार करती रही लेकिन पाकिस्तानियों का कोई नाम और निशान नहीं था | ऐसा लगा की पाकिस्तानियों ने हमले का इरादा छोड़ दिया और अब सब शांत हो गया | सारे फ़ौजी जश्न मना रहे थे और बहुत खुश थे | लेकिन अभी भी संदेह गायब नहीं हुआ था इसलिए सेना में से हर रोज़ दो लोगों को सीमा के पास जाँच करने के लिया भेजते थे।
दो और हफ्ते गुज़रे और आज लालू और सम्राट को निरीक्षण के लिए जाना था।शाम का समय था और अब अंधेरा छा रहा था जब उन्होंने अचानक से देखा दूर से तेज़ रोशनी आ रही थी और ज़मीन हिल रही थी|
दोनों सम्राट और लालू जा के एक बड़े पत्थर के पीछे छिप गए | जब रोशनी समीप आई तो उन्होंने देखा की बड़े टैंक और गाड़ियाँ आ रही थीं और साथ में करीब सौ-दो सौ सैनिक भी बदुँके लिए चल रहे थे |
दूर से सैनिकों की सही संख्या पता नहीं चली । सम्राट घबराया और बोला, “चलो भाग चलें।”जिस पर लालू बोला, “हम नहीं भाग सकते अन्यथा सारी सेना मर जाएगी क्योंकि वह युद्ध के लिए तैयार नहीं होंगे |” सम्राट और लालू ने दुश्मन के बारे में भारतीय सेना को वॉकी- टॉकी पर सचेत कर दिया और सेना ने बीस मिनट में सीमा पर तैयार होकर पहुँचने का संदेश दिया | शत्रु बिलकुल सामने था और उन्हें कैसे भी करके पाकिस्तानियों को बीस मिनट तक रोक्खर रखना था।
लालू ने एक गोली चलाई, वह जाकर एक पाकिस्तानी सैनिक के माथे पर लगी और वह गिर पड़ा | पाकिस्तानी सैनिक ठहर गए और एक सैनिक चिल्लाया, “कौन हैं ? सामने आओ” लालू ने एक और गोली चलाई इस बार वह जीप के ड्राइवर को लगी | अब उन्हें गुस्सा आ गया और वह लालू को ढूंढने के लिए हर तरफ भागे | एक सिपाही पत्थर की तरफ आया और लालू की गोली खाकर गिर गया | अब सारे सिपाही पत्थर की तरफ भागे | उसने सेना के ऊपर हथगोले फेंके और अब उसके पास एक आखरी हथगोला बचा था।
लालू पीछे की ओर मुड़ा, यह जानने के लिए की सम्राट गोली क्यों नहीं चला रहा था । उसने देखा की सम्राट पीछे की तरफ भाग रहा था | लालू ने ठान लिया था की वह नहीं भागेगा | लालू लगातार उसके तरफ आते हुए सिपाहियों पर गोली चलता गया | अब पूरी फ़ौज उसके तरफ भागी, उन्होंने लालू पर कई गोलियां चलाई और लालू बुरी तरह घायल हो गया था, उसके पूरे बदन में गोलियां थी | उन्होंने आकर लालू को घेर लिया | लालू ने अपनी ऊँगली अपने कमर के हत्यारों की बेल्ट पर डाली और उसे नीचे खींचा, जैसे ही उसने यह किया उसने अपनी ऊँगली को आखरी हथगोले की पिन में अटका लिया। हथगोले की पिन गिरी और एक भयानक धमाका हुआ जिसमें उसको घेर के कड़े सैनिक या तो घायल हो गये या मर गये |
सम्राट ने अपने पीछे धमाका सुना तो रुक गया और देखा की गोली-बारी बंध हो गयी थी |पास जाकर देखा तो लालू का मृत शरीर पाया | सम्राट ने बचे घायल सैनिकों को मार दिया । इतने में भारतीय सेना वहां पर पहुँच गई और पाकिस्तानी सेना को तहस-नहस हुआ देखकर मान लिया की यह सम्राट की ही बाहादुरी का नतीजा है । उन्होने निडर सम्राट के नारे लगाए और सम्राट के मुँह से एक भी शब्द न निकला |
ऐसे ही निडर सम्राट को बहादुरी के लिए सेना का मैडल मिला, लालू की अन्त्येष्टि हो गयी और वह भुला दिया गया |
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